कैसे बना मुकेश एक सक्सेसफुल उधमी कहानी | How Mukesh Became an Entrepreneur Story in Hindi

जब लोग तुम्हारा मजाक उडाने लगे तो समझ लो की तुम सही रास्ते पे जा रहे हो। थोडे ही समय पहले की बात है । सरकार के द्धारा स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत फोटोग्राफी तथा विडियोग्राफी पर एक कोर्स कराया गया । जिसमें 30 – 30 बच्चों को दो बेच मे सिखाया जाना था । कोर्स की अवधि 30-30 दिनो कि थी।

यह सब एक संस्था के द्धारा करवाया जा रहा था । जिसमें अपना इंटरेस्ट दिखाते हुये कही लडके तथा लड़कियों ने अपना नाम लिखवा लिया। जिनमें गुडू , बिकी , बिनू , सुरेश , अजय , संजय , राजेश , प्रंशात , मुकेश , शिल्पा , आदि बच्चे थे । सभी ग्रेजुएट लेवल के थे। बेच में कुल 2 लडकिया थी । बाकी सभी लडके ही थे ।

कोर्स को पढाने के लिये एक अध्यापक को बुलाया गया था । जिन्हे फोटोग्राफी का काफी अच्छा अनुभव था । सभी काफी उत्सुक थे । इन लडको में 5 6 लडको का अपना पहले से स्टूडियो था। जो यहा कुछ नया सिखने की चाह से आये थे । अब हफ़्ते में तीन दिन प्रेक्टिकल और तीन दिन थ्योरी की क्लास चार चार घण्टे की होती। क्लास के बीच में 2 घन्टे के बाद ब्रेकफास्ट होता । जिसकी व्यवस्था भी सरकार द्धारा करायी गयी थी। और सप्ते में एक दिन सभी को फोटो ग्राफी के लिये बाहार ले जाया जाता। सभी को खुब मजा आ रहा था।

इन सब बच्चो में एक लडका जिसका नाम मुकेश था। वह फोटोशोप में काफी धीरे धीरे से चीजो को समझ रहा था। वह एक ही बात को बार बार पुछता। और तब तक पुछता जब तक उसकी समझ में नही आ जाता । उसने कम्पूटर और कैमरा पहली बार यही पे पकडा था। जिस कारण वह काफी दुविधा मे रहता था ।

अब बाकी लडको के द्धारा मुकेश का मजाक बनाया जाने लगा । लेकिन मुकेश पर इस सब कोई फर्क नही पडता। और वह पुरी लग्न के साथ सिखता रहा।लेकिन और बच्चो की समझ में यह बात कहा आने वाले थी । मुकेश के बार बार पुछने के कारण से टीचर भी उससे काफी परेशान थे।

लेकिन वह कहते है ना जहा चाह वहां राह।

मुकेश की लगन के आगे कुछ नही टीक पाया और वह धीरे धीरे सब कुछ सीखता चला गया। उसपे इस बात का कोई फर्क नही पड रहा था कि लोग क्या कह रहे है।

इसी तरह 30 दिनो का सफर बीत गया। यह कोर्स इंटरप्रिन्योरशिप के तहत करवाया जा रहा था । सरकार इस कोर्स के माध्यम से सभी को अपना रोजगार खोलने का रास्ता दिखा रही थी । शायद यह बात मुकेश की समझ में काफी अच्छे तरीके से आ गयी थी । बाकी सभी लडके ये सब मजाक में ले रहे थे । लेकिन मुकेश के लिये ये सब मजाक नही था।

सभी लडको को सर्टिफिकेट के लिये 2 महीने बाद का समय दिया गया। सभी फिर से अपने अपने कांलेज की पढाई या किसी औैर काम में चले गये। अब यही पर एक और तीस बच्चो का बेच सिखाया जाना था । और उसके लिये पहले से ही तीस बच्चो का चयन किया जा चुका था।

अब मुकेश पुरी लगन के साथ अभ्यास करता ओर जब भी उसे दिक्कत आती तो वह इंस्टीट्यूट में जाकर पुछता। वह रोज इंस्टीट्यूट जाता और अभ्यास करता । अब टीचर भी उसकी लगन को देखकर काफी खुश थे । और उसे सब कुछ दिल से बताते। और महीना खतम होते होते वह काफी ट्रेंड हो गया। अब उसने एक स्टूडीयो में जाकर जांब कर ली । और अपने काम में और निखार लाता रहा। इसी बीच उसने 2 इंवेट भी किये । जिससे उसने पैसे भी कमाये।

अब 2 महीने  के बाद इंस्टीट्यूट की और से सभी 60 विधार्थियो को फोन किया गया। की आप अपना सर्टिफिकेट लेने के लिये आये। इस दिन एक प्रोग्राम का आयोजन किया गया था। जिसमें एक बडे अधिकारी के द्धारा सर्टिफिकेट दिया जाना था।

अब सभी लोग अपना सर्टिफिकेट लेने के लिये पंहुच गये। अब जब अधिकारी के द्धारा दोनो बेच में से सबसे बेस्ट प्रफोमर के ईनाम के लिये घोषणा की गयी तो सब एक दूसरे का मुंह देख रहे थे। लेकिन जब मुकेश का नाम पुकारा गया तो सब यह सुनकर हैरान थे। और कह रहे थे कि यह कैसे सम्भव है।

जब मुकेश ईनाम लेने आगे गया तो अध्यापक जी भी आगे आये और मुकेश की जमकर तारीफ की । और मुकेश को ईनाम दिया।

इसके बाद मुकेश ने पांच छह महीने का एक्सपीरियन्स लेने के बाद अपना काम खोल दिया। आज वह अच्छे पैसे कमा रहा है और अपने काम से खुश है ।

तो दोस्तो लोग चाहे कुछ भी कहे जब आप अपने काम पर दिल से ध्यान देते है तो लोग क्या कह रहे है ये सब आपको सफलता पाने से नही रोक सकता ।

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