शारीरिक शिक्षा की परिभाषा | Definition of Physical education hindi

ए आर वेमैंन के अनुसार – शारिरिक शिक्षा,  शिक्षा का वह भाग है जिसके अंतर्गत शारिरिक गतिविधयों द्वारा यक्ति का प्रशिक्षण एवं उसका पूर्ण विकास किया जाता है। जे बी नैस के अनुसार – शारीरिक शिक्षा समूची का वह अंग है जो बड़ी मांस पेशियों से संबंधित क्रियाओं एवं उनसे संबंधित प्रतिक्रियाओ से जुड़ा है। … Read more

बहिष्कृत धौति

कौवे की चोंच के समान ओठों को करके उनके द्वारा वायु का पान करते हुए उदर को भर लें। उस पान की हुई वायु को आधे प्रहर (डेढ घष्टा) तक उदर मे रोक कर परिचालित करते हुए अधोभार्ग से निकाल दे । यह परम गोपनीय विधि बांहेष्कृत धौति कहलाती है। इस अभ्यास को करने के … Read more

SSC Delhi Police Constable Result 2020-21 : – एसएससी दिल्ली पुलिस कांस्टेबल का रिजल्ट जारी कर दिया गया है यहाँ से देखे

SSC Delhi Police Constable Result:- कर्मचारी चयन आयोग SSC के द्वारा दिल्ली पुलिस कांस्टेबल भर्ती का रिजल्ट जारी कर दिया गया है। 5000 से भी अधिक पदों के लिए इस परीक्षा का आयोजन किया गया था। जिसमें 5690 अभ्यर्थी पास हुए है। जो कोई कैंडिडेट अपना SSC रिजल्ट 2020  चेक करना चाहते है वह एसएससी की … Read more

प्रोटीन

यदि संतुलित आहार की बात की जाए तो प्रोटीन उनमे एक महत्वपूर्ण घटक है। इसके बिना हमारे शरीर की कल्पना भी नही की जा सकती है। यदि प्रोटीन ना होतो हमारे शरीर पर मांस भी ना हो। इसके कारण ही मांस और झिल्लियों का निर्माण होता है। मुख्यतः शरीर में किसी भी प्रकार की क्षति … Read more

केनोपनिषद

केनोपनिषद :- यह उपनिषद सामवेद के तलवकार ब्राह्मण के 9वीं अध्याय के अंतर्गत है। तलवार को जैमिनीय उपनिषद भी कहते हैं। केनोपनिषद के चार खंड हैं। उपनिषद में शिष्य गुरु से सवाल करता है कि आंख कान नाक हमारी इंद्रियां किसके द्वारा प्रेरित होती हैं। हमारा प्राण ईश्वर से प्रेरित होता है। ईश्वर ही ब्रह्म … Read more

कठोपनिषद

कठोपनिषद :- यजुर्वेद की कठ शाखा से इसका निर्माण हुआ है। यह दूसरे अध्याय की तीसरी वल्ली है, इसमें वाजश्रवा ऋषि, नचिकेता और यम का संवाद है। वाजश्रवा की कहानी – पुराने समय में यज्ञ के समय कुछ ना कुछ अपनी प्रिय वस्तु दान देने की प्रथा थी। तब वाजश्रवा ऋषि ने बहुत ही बड़ा … Read more

योग की मूलभूत अवधारणाएं | Yog Ki Mulbhut Avdharna in Hindi

योग के आधारभूत तत्व योग की अवधारणा में सबसे पहले योग के अर्थ को जानना सबसे आवश्यक है अलग-अलग ऋषि मुनियों की अलग-अलग परिभाषाएं जैसे योग का अर्थ होता है जोड़ना अर्थात आत्मा का परमात्मा से मिलन योग है। महर्षि पतंजलि के अनुसार चित्त की वृत्तियों को रोकना ही योग है। इसी प्रकार गीता में … Read more

ईशावास्योपनिषद क्या है परिचय

ईशावास्योपनिषद शुक्ल यजुर्वेद का 40 वां अध्याय है । इसमें कुल 15 मंत्र हैं । संपूर्ण जगत ईश्वर से बना है, यह एक छोटा उपनिषद है इसमें गीता के 18 अध्याय के 18 मंत्र हैं । इशावस्यम प्रथम मंत्र के होने के कारण इसे ईशावास्योपनिषद कहा जाता है । पूरा जगत ईश्वर के द्वारा निर्मित … Read more

भक्ति क्या है ? भक्ति और भक्त के प्रकार | bhakti kya hai

भक्ति का अर्थ पूजन , वंदना, संगीत, अर्चना करने वाले यह सभी भक्त कहलाते हैं। भजना कर्म करना भगवान की सेवा करना, यह मनुष्य की आवश्यकता है भक्ति की आवश्यकता है जोड़ना, परमात्मा के साथ जुड़ाव को भक्ति योग कहते हैं। भक्ति की परिभाषा जिस कर्म के अनुसार अपने इष्ट की सेवा की जाए उसे … Read more