लोग क्या कहेंगे

सर्दियों का समय था। खूब ठंड पड़ रही थी। में एक योग स्कूल में विदेश  से भारत आये लोगो को पढ़ा रहा था। यहाँ पर विदेशी योग टीचर ट्रेनिंग पढ़ने आया करते ।

रोज की तरह में अपनी कक्षा समाप्त करने के बाद बाहर आकर धूप का आनंद लेता। और अन्य  टीचर भी अपनी कक्षा समाप्त करने के बाद बाहर आकर धूप का आनंद लेते। योगाचार्य पकंज, लाता, दीपक और में आपस मे योग और वेदों पर चर्चा करते।

हमारी कक्षा में एक डेविड नाम का छात्र दक्षिण अमेरिका से योग पढ़ने आया था। जो लगभग 6 फ़ीट का, रंग काला और बाल बड़े बड़े घुघराले थे।

वह स्कूल के पास में ही एक फ्लैट लेकर रह रहा था। वह फ्लैट से रोज स्कूल में आया जाया करता।

उस रोज भी खूब सर्दी और कोहरा था। रोज की तरह जब वह एक दिन सुबह आया।
तो हमने देखा की वह बहुत की हल्की बनियान ओर हाफ पेंट पहने था।

और एक पैर में एक जुराब पहने व चप्पल पहने था। उस समय उसकी योगाचार्य लता के साथ क्लास थी। वह क्लास में गया ।

लता जी ने जब डेविड से पूछा की उंसके कपड़े कहाँ है। तो  उसने कहाँ की मेरी गर्ल फ्रेंड ने धोबी को सारे कपड़े दे दिए। और मुझे जो मिला में वही पहनकर आ गया।

फिर उससे पूछा कि दूसरा जुराब कहा तो उसने कहाँ की नही मिला।
हमने कहाँ ऐसे अच्छा लग रहा है । उसने कहाँ थोडा भी ठंड से बचा तो बहुत है। एक पैर भी ठंड से बच्चा तो बहुत है।

उसने बिल्कुल भी यह नही सोचा कि लोग क्या कहेंगे । वह मार्किट और मोहल्लो से होता हुआ आया।

लेकिन वही अगर कोई और यक्ति होता तो पहले तो वह आता ही नही ओर आता भी तो सोचता कि लोग क्या कहेंगे।

इस सत्य घटना से हमें कुछ सीख तो अवश्य लेनी चाहिए। यदि हम अपने लक्ष्य के प्रति पूर्णतः समर्पित है तो हमे यह नही दिखता की लोग क्या सोचेंगे। हमारा ध्यान अपने लक्ष्य पर होता है।

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