नवरात्रि पूजन का महत्व | Navratri Pujan ka Mahatva Hindi

जो व्यक्ति नवरात्रि का पूजन करते हैं, उनके लिए यह जानना बहुत जरूरी होता है कि इसके करने से क्या फल प्राप्त होता है और इसका क्या महत्व है।

जो नवरात्रि का पूजन करते हैं, उन्हें पूर्ण नवरात्र का व्रत रखना चाहिए। 9 दिन देवी की पूजा आराधना करनी चाहिए। नवरात्रि में नौ की संख्या का विशेष महत्व है।

नवरात्रि का पहला शब्द संख्या 9 का वाचक है। नवरात्रि में देवी की नौ शक्तियां नवदुर्गा की उपासना का विधान है। प्रथम माँ शैलपुत्री, द्वितीय ब्रह्मचारिणी, तृतीय चंद्रघंटा, चतुर्थ कूष्मांडा, पंचम स्कंदमाता, षष्टम कात्यायनी, सप्तम कालरात्रि, अष्टम महागौरी तथा नवम सिद्धिदात्री। नौ देवियों की पूजा के साथ साथ सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु इन नवग्रहों का पूजन भी किया जाता है।

देवी भागवत महापुराण में कहा गया है कि जिस ब्रह्म को वेद एकम अद्वितीयम अर्थात धर्म एक है यह कहकर संबोधित करते हैं महाशक्ति ने उजागर किया है। मैं और ब्रह्म एक ही है, जो वह है वही मैं हूं और जो मैं हूं वही वे है, केवल बुद्धि भ्रम से भेद प्रतीत होता है।

जब मेरी पुरुष के रूप में उपासना की जाती है, तब मैं ईश्वर शिव भगवान आदि नामों से जानी जाती हूं और जब स्त्री रूप में भक्त मेरी उपासना करते हैं तो मैं ईश्वरी दुर्गा भगवती कल्याणी आदि नामों से जानी जाती हूं ।

इस प्रकार भगवान शंकर और माँ पार्वती, राधाकृष्ण, सीताराम, लक्ष्मी नारायण मेरे ही स्वरूप है। ईश्वर शक्ति एक तत्व है। केवल भक्तों की दृष्टि से ईश्वर भक्ति के रूप में अनेक हो जाते हैं। गायत्री, भुवनेश्वरी, काली, तारा, त्रिपुरा, मातंगी, कमला, पद्मावती, दुर्गा, शक्ति और काली शक्ति रूप अनेक है।

यही कारण है माँ शक्ति के नव रूपों की आराधन पूजा पाठ व्रत के साथ इन नौ दिनों तक की जाती है। माँ दुर्गा ने इस चराचर जगत की समय समय पर रक्षा करने के लिए कही रूप धारण हम सभी का कल्याण किया है।

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