आर्थराइटिस क्यों होता है :
जोड़ों में दर्द होने को ही विज्ञान की भाषा में अर्थराइटिस कहते हैं । यह हमारी हड्डियों में सायनोवियल फ्लुड खत्म हो जाने के कारण होता है । इसे सामान्य शब्दों में गठिया भी कहते हैं इसमें जोड़ों में दर्द ,सूजन ,पैर हाथ हिलाने में दिक्कत, उठने बैठने में दर्द, आदि दिक्कत होती है।
सामान्यतः स्त्रियों को यह समस्या अत्यधिक होती है । उनके शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम हो जाने के कारण घुटनों में दर्द की समस्या बढ़ जाती हैं । अत्यधिक मोटापे के कारण भी घुटनों में दर्द की समस्या होती है। मानसिक तनाव के कारण भोजन के गलत तरीकों के कारण शरीर में असंतुलन पैदा होता है।
अर्थराइटिस के कारण
अर्थराइटिस क्यों होता है इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- यह शरीर में रक्त संचार ठीक से ना होने के कारण भी होता है।
- व्यायाम की कमी के कारण।
- रक्त के जमा हो जाने के कारण ।
- बाहरी चीजें खाने के कारण।
- कब्ज की समस्या बहुत ज्यादा होने के कारण।
- मांसपेशियों का ठीक से कार्य न करना।
- मांसपेशियों में तनाव के कारण।
- अंतः स्रावी ग्रंथियों में असंतुलन बने रहने के कारण।
- सायनोवियल फ्लूड के खत्म हो जाने के कारण।
- अनुचित खान-पान के कारण।
- अत्यधिक क्रोध के कारण।
- रोग प्रतिरोधक क्षमता की कमी के कारण।
- हड्डियों के कमजोर हो जाने के कारण।
अर्थराइटिस के लक्षण
इसके लक्षण निम्नलिखित हैं-
- घुटनों में दर्द की समस्या बनी रहना।
- चलने में परेशानी पैरों में सूजन बनी रहना।
- पैर हिलने डुलने में दर्द।
- शरीर में सुस्ती आलस्य।
- सिर दर्द की समस्या।
- बैठते उठते समय कट कट की आवाज आना।
- लगातार कब्ज की शिकायत रहना।
- जोड़ों में भारीपन महसूस होना ।
- हल्का बुखार महसूस होना ।
- पैर की उंगलियां टेडी होना।
- घुटने में दर्द होना।
- तनाव निराशा की स्थिति उत्पन्न होना।
- जल्दी गुस्सा आना चिड़चिड़ापन।
अर्थराइटिस के लिये घरेलु चिकित्सा
नियमित रूप से समय पर भोजन करें । भोजन को चबा चबाकर, शांत भाव से करें। भोजन उपरांत पानी ना पिएं नशीले पदार्थों से बचें । शुद्ध वायु में नियमित रूप से व्यायाम करें। नकारात्मक विचारों पर नियंत्रण रखें। सुबह उठकर गर्म पानी अवश्य पिये । शरीर में पानी की कमी ना होने दें । वसा युक्त भोजन न करें। शरीर में मोटापा ना होने दें । रात्रि देर से भोजन न करें। रात्रि भोजन के बाद तुरंत ना सोए। अनिद्रा से बचें।
आर्थराइटिस के लिए योग
- जोड़ों में के दर्द लिए पवनमुक्तासन
- ताड़ासन
- कटिचक्रासन
- भुजंगासन
- त्रिकोणासन
- हस्तोत्तानासन
- अर्धमत्स्येंद्रासन
- गोमुखासन
- वज्रासन
- मार्जरी आसन
आदि अवश्य करें।
अर्थराइटिस के लिए प्राणायाम
सूर्यभेदन, उज्जाई, भस्त्रिका, अनुलोम विलोम, नाड़ी शुद्धि, शीतली, शीतकारी और उद्गीथ प्राणायाम अवश्य करें।
अर्थराइटिस में आहार
संतुलित आहार ग्रहण करें। खानपान पर विशेष ध्यान दें। कैल्शियम युक्त आहार लें ,चोकर युक्त आटा, ताजी सब्जियां ,शरीर को पोषण देने वाले पदार्थ जैसे दलिया, मंडवा ,पत्ता गोभी, अदरक, लहसुन, सोयाबीन, वसा रहित दूध ,सूखे मेवे, नाशपाती ,आम ,खजूर, पपीता, रस आहार और सूप अवश्य ले।
शरीर के लिए हानिकारक आहार
आहार कोई ऐसा आहार न ले जिससे कब्ज की समस्या बढ़ती है जैसे- भिंडी ,अरबी, मैदा युक्त भोजन, जैसे -समोसा, पिज़्ज़ा, बर्गर ,चाऊमीन ,धूम्रपान से बचें। मिर्च मसाले ,टोमेटो सॉस ,रात्रि जागरण, उड़द की दाल और दूध से बने चीजों के सेवन से बचें।