Inspirational Boiling Frog Hindi Story | उबलते मेंढक की कहानी

दोस्तो क्या आपको मेंढक के बारे में एक दिलचस्प बात पता है। यदि नही पता है तो में यहां आपको  वह दिलचस्प  बात बता रहा हूं ।

यदि मेंढक को किसी ठन्डे पानी के बर्तन में रखा जाये और फिर उसी बर्तन का तापमान बढाने के लिये इस पानी को गर्म करना शुरु कर दिया जाय। तो मेढक के अन्दर कुछ ऐसे गुण होते है कि वह उस गर्म पानी के साथ अपने शरीर के तापमान को ढालता जाता है।

लेकिन वह एक सीमा तक के तापमान को ही झेल पाता है। एक समय के बाद मेंढक की सहन करने की क्षमता खत्म हो जाती है। और वह स्वंय ही बाहर आने की कोशिश करता है।

पंरतु क्या अब वह इस गर्म पानी से बाहार आने की क्षमता रखता है। जबाब नही में होता है।

क्योकि वह अपने शरीर की सारी उर्जा तो उस गर्म पानी को झेलने में लगा देता है। और अब उस में इतनी सामर्थ्य नही होती है कि वह पानी से छलाग लगाकर बहार आ जाये। और इस तरह मेंढक अपनी जान से हाथ धो बैठता है।

अब दोस्तो सवाल ये है कि अगर मेंढक शुरु में या बीच में ही बाहर आने का प्रयास करता तो क्या उसकी मौत होती । नही वह बच जाता । लेकिन उसको पता होने के बाद भी वह प्रयास नही करता और अंत में भगवान को प्यारा हो जाता है।

तो दोस्तो वह तो मेंढक है लेकिन हम मनुष्य है और कही बार हम भी छोटी परिस्थितियो के साथ स्वंय को ढाल लेते है और अंत में बुरी तरह से फंस जाते है ।

दोस्तो भगवान ने बुद्धि तो सब दी है लेकिन उसका सही प्रयोग हम मनुश्य ही कर पाते। अगर हमने यह बुद्धि भी गलत कामो में लगा दी तो फिर क्या फायदा । हमें मनुष्य बनना है मेंढक नही । और जब कोई इस तरह की स्थिति पैदा हो जाये तो भगवान ने हमे बुद्धि के साथ विवेक भी दिया है हमे ईमानदारी के साथ अपने विवेक से फैसले लेने चाहिये।

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