चुपी का फल कहानी | Hindi Story on Fruit of Silence

एक गांव की बात है । जहां मनोज नाम का लडका अपने परिवार के साथ रहा करता था । मनोज ने स्नातक पास कर लिया था और वह रोजगार की तलाश में इधर उधर भटक रहा था । जब वह स्नातक पास कर रहा था । उसी समय उसने कंप्यूटर का कुछ काम भी सीख लिया । लेकिन उसे काम नही मिला और वह रोजगार की तलाश में इघर उधर भटकने लगा।

कुछ समय बाद में उसके गांव के एक नेता ने उसे सरकारी नौकरी दिलाने की बात कही और वह उसकी बातो में आ गया । नेता ने उससे अपनी पहुंच काफी उपर तक बतायी। और कहा ये तो मेरे बाये हाथ का खेल है। लेकिन तुम्हे कुछ पैसे देने होगे।

एक दो दिनो तक वह सोचता रहा कि क्या वह व्यक्ति सच बोल रहा है। लेकिन अंत मे उसने नेता पर विश्वास कर लिया। क्योकि उस समय मनोज रोजगार की तलाश में काफी भटक चुका था लेकिन उसे सफलता प्राप्त नही हुयी ।

वह नेता जिसका नाम भगवती था उस पर पहले भी कही तरह के भ्रष्टाचार के आरोप लग चूके थे लेकिन फिर भी बेरोजगारी के कारण सच्चाई जानते हुये भी मनोज ने उस पर भरोसा कर लिया ।

एक दो दिनो के बाद नेता ने उससे बोल दिया कि तुरन्त तुम्हारा काम हो जायेगा। लडका भी काफी खुश था कि मुझे जल्दी का रोजगार मिल जायेगा । और वह भी सरकारी विभाग में ।

तीन चार दिनो के बाद वह नेता उसके पास आया और कहने लगा कि तुम्हे आधे पैसे एडवान्स के तौर पर देने होगे । लडके ने पैसे कही से यहां वहां से मांगकर उसको पाचास हजार रुपये दे दिये । वह काफी गरीब घर से था जिस कारण उसके मां बाप उसकी कोई मदद नही कर पाये । लेकिन वह काफी खुश थे कि जल्दी ही उनका लडका सरकारी नौकरी पर लग जायेगा।

वह धोखेबाज चापलूस नेता पैसे लेकर आराम फरमाने लगा । 15 दिन बित जाने पर जब मनोज उसके पास गया तो उसने कहा बहुत जल्दी तुम्हारा काम हो जायेगा । तुम चिन्ता मत करो ।

लगभग एक महीना बीत जाने पर भी जब नेता जी की पुछ नही हिली तो मनोज उस भ्रष्ट नेता के पास फिर से गया । लेकिन होना वही था जो नेता काफी समय से काफी बेरोजगार युवको के साथ करता आया था । उसने उसे फिर से एक और महीने का समय ये कह कर दे दिया की विभाग में कुछ गडबड है । जल्द ही उसका काम हो जायेगा ।

अब क्या था मनोज को अपनी गलती का एहसास हो गया कि मुझसे गलती हो गयी । इसी तरह से वह मनोज का लगभग एक साल तक वेवकूफ बनाता रहा। वह उसको जादा बोलने पर जान से मारने की धमकी देने लगा ।

लेकिन मनोज ने हिम्मत नही हारी और पुलीस में एफ आई आर दर्ज करने की बात अपने घर वालो से कही । उसके मां बाप पुलीस का नाम सुनकर कहने लगे बेटा ये पुलीस के चक्कर मे न पड जो होना था वह हो गया । ऐसे लोगो पे स्वंय ही कीडे पडते है । ओर वह जीवन भर परेशान और दुखी रहते है । भगवान उसको स्वंय ही सजा देगे ।

मनोज ने अपने दिल को दिलासा देते हुये मां बाप की बात मान ली और काम की तलाश में दिल से लग गया और उसको पास के बाजार में एक कंप्यूटर आपरेटर का काम भी मिल गया ।

लेकिन भेड की खाल में भेडिये जैसे भ्रष्ट नेता की भुख कहा खत्म होने वाली थी । उसका वह धन्धा चालू रहा और उसने काफी बेरोजगार नवयुवको को इसी तरह अपना शिकार बनता रहा ।लेकिन वो कहते है ना जब शियार की मौत आती है तो वह शहर की तरफ दोडता है।

कुछ समय बाद में जब इस नेता का पाला एक होशियार लडके के साथ पडा तो उसने नेता को जेल की सलाखो के पीछे पंहूचा दिया ।

मनोज की चुपी ने उसका समय तो खराब किया ही साथ में कही और बेरोजगार लडको का समय और पैसा भी बरबाद किया। अगर वह समय रहते पुलिस को बात बात देता तो वह नेता काफी समय पहले जेल पंहुच गया होता ।

लेकिन दोस्तो कही आपकी चुपी भी इसी तरह किसी भ्रष्टनेता को और गुनाह करने का मौका तो नही दे रही है । समय रहते सही फैसले लिजिये और समाज में फैले बुरे लोगो को और भ्रष्टाचार करने का मौका मत दीजिये ।

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